खुली किताब हाल ए बयां दुनिया शर्त नक़ाब चेहरे पे चेहरे फ़रेबी चेहरे हैं चेहरे पे कितने चेहरे अभी तो सिर्फ लब खुले हैं दिल दल चेहरे अचानक स्वार्थ

Hindi खुले चेहरे Poems